Gungunao Shaeen-bagh

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दिल्ली में है शाहीन बाग
बहुत छोटा बहुत खुला सा एक इतिहास की गलियों में खो गया बाग!
एक बहुत साधारण सा मोहल्ला!

उस बाग का पता पिछले साल तक सिर्फ डाकिए जानते थे और बाशिंदे
उस बाग का रास्ता बहुत जल्दी पार हो जाता था!

आज वहां मेला है
वहां आज नया झाम ताम है
आज वहां एक नए रूप का नए रंग का खेला है!

वहां जमा हैं हजारों माएं
हजारों बहनें हजारों हिजाब वाली
हजारों नए ख्वाब वाली
बेटियां
जिन्हें समझती है ये हुकूमत कि ये तो बस एक भीड़ है!

नहीं देखती है ये हुकूमत कि आज शाहीन बाग की भीड़ में रोहित बेमुला की मां है अपने बेटे को खोजती
बेटा जो फांसी लगाकर मर गया है!
उसे वो रोहित वहां मिलेगा!

आज उस भीड़ में जेएनयू से खो गए नजीब की मां है
नजीब जो मिलता ही नहीं है
उसे अपने जिगर का टुकड़ा वहां मिलेगा!

उस भीड़ में एक भारत मां है
अपने खोए भारत को खोजती
जिसका अपना कोई घर नहीं है
जिसका अपना कोई पता नहीं है
उस भारत मां को शाहीन बाग में अपना कोई घर मिलेगा
अपना पूरा पता मिलेगा!

उस भीड़ में निर्भया की मां है
अपनी बेटी के लिए एक उजली रात खोजती!
वो रात जो बेटियों की दुश्मन न हो!
वो रात जो बेटियों कि हत्यारी न हो
वो रात शाहीन बाग में हर मां को मिलेगी!

शाहीन बाग में लोरियां सुलग रही हैं
नई लोरियां वहां धड़क कर गीत बन जा रही हैं
शाहीन बाग में अजब तरीके से पर्दे में मर खप जाने वाली औरतें जिंदगी के गीत गा रही हैं
आज दुःख दर्द को नया तराना बना रही हैं शाहीन बाग की औरतें!

शाहीन बाग में ख्वाब की खेती बारी हो रही है
शाहीन बाग में नया उजाला नई आंच में ढल रहा है
शाहीन बाग में आसमान थोड़ा और झुक आया है
तारे अपनी शाहीन बाग की बेटियों को देखने उतर आना चाहते हैं
चांद वहां पहरे पर बैठना चाहता है
लाठी लेकर नेजा लेकर!
चांद वहां रात रात भर अलाव जला कर जागना चाहता है!
वहां से उठ रही आवाजों को करीब से सुनने के लिए
बादल बहुत नीचे उतर आए हैं ये भूल कर की ठंड की रातें और ठंडी हो जाती हैं बादलों के करीब घिर आने से!

घनघोर बादलों से घिरे 
शाहीन बाग में आज हर जुल्म का हिसाब हो रहा है
शाहीन बाग में पुराने पन्ने खुद ब खुद खुल गए हैं
आधे अधूरे पन्ने सुलग रहे हैं 
शाहीन बाग जालियां वाला बाग हो रहा है!

जनरल डायर के भाई सब फिराक में हैं आग लगाओ शाहीन बाग को!

लेकिन शाहीन बाग खिलता हरा भरा होता जाता है
इस बाग को अनाम माएं अपने जज्बे के खून दूध से सींचती हैं
इस बाग को बेनाम बेटियां अपनी तमन्नाओं से रंग रही हैं
शाहीन बाग को अनजानी नई दुलहने अपने दामन से धांकती हैं
शाहीन बाग के मद्धिम नारों से ये किस की तौहीन झांकती है?

दर्ज हो इतिहास में की जब जालिम जबर हुआ तो उसको हिलाने लगाया जाए शाहीन बाग
दर्ज हो की जब हाकिम बेखबर हुआ तो उसको भगाने सजाया जाए शाहीन बाग!
दर्ज ही जब हुकूमतों का गरूर बेखौफ हुआ तो उसको जताने
जुटाया जाए शाहीन बाग!

ये शाहीन बाग की औरतें पुराने भारत की नई बागबान हैं
ये शाहीन बाग की औरतें नया हिन्दुस्तान हैं
ये शाहीन बाग की औरतें आजादी का नया निशान हैं
ये शाहीन बाग की औरतें नई चमक का नया बिहान हैं!

ये शाहीन बाग की औरतें 
जो बिना बहुत बोले बोल रहीं 
ये जो बिना कहे कुछ कितनी हुकूमतों को माटी में रोल रही हैं

ये शाहीन बाग की औरतें जो बिना गर्जना के गरज रही हैं
ये जो बिना हुंकार के डरा रही हैं
ये शाहीन बाग की औरतें हुक्मरानों पर अपने सब्र से बज्जर बिजली गिरा रही हैं!

ये शाहीन बाग की औरतें जिनके जब्त की आग में दहक कर हिन्द का पुराना लोहा है पिघलने वाला
ये शाहीन बाग की औरतें गढ़ रहीं हैं नए हिन्द का नया शिवाला!

शाहीन बाग की औरतें रूई की तरह थीं
शाहीन बाग की औरतें जो छुई मुई की तरह थीं
शाहीन बाग की औरतें जो गीली मिट्टी की तरह थीं
शाहीन बाग की औरतें जो कंकर गिट्टी की तरह थीं
आज उन्होंने बता दिया है
की छुई मुई सी औरतों ने
गीली मिट्टी कंकर गिट्टी सी औरतों ने
मिल कर खरा फौलाद बना दिया है
एक बहुत गुम से शाहीन बाग को!
उजड़े से बेनूर बाग को
दुनिया में दमका दिया है
शाहीन बाग की औरतों ने!

नया नया सब हो रहा है 
आसमान में बदलाव का नया सा परचम फर फर लहर रहा है
शाहीन बाग की औरतें जो मंतर बुदबुदा रही हैं उससे हाकिम सिहर रहा है!
शाहीन बाग का नया जंतर हर जालिम को अखर रहा है!

तो आओ बोलें शाहीन बाग की औरतें जिन्दाबाद
आओ शाहीन बाग की औरतों के साथ हो लें
उनको अपना मसीहा मानें
और भगत सिंह के बम के जैसे धमाकेदार नारा बुलंद करें!

शाहीन बाग की औरतें जिंदाबाद!

https://www.washingtonpost.com/opinions/this-crisis-is-about-democracy-itself/2020/03/22/b1f30f10-6aee-11ea-abef-020f086a3fab_story.html?utm_campaign=wp_main&utm_medium=social&utm_source=twitter